पौधारोपण की सफल विधि

अगर आप बाग लगाने की सोच। रहे है या लगा रहे है तो कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखे। इससे आपके पौधें न केवल अच्छे रहेंगे बल्कि स्वस्थ होने के साथ साथ उनका समुचित विकास होगा और आप आगने होने वाली बीमारियों और दवाई आदि के खर्च से बच सकेंगे। वैसे तो हमे क्या सावधानियां रखनी है इस पर हमने अपने YouTube चैनल पर दो वीडियो (298 और 300) में विस्तृत बताया है। इस विधि से लगभग सभी फलदार पौधों में अपनाई जा सकती है।
लेखक
Dr Anil Kumar Tyagi
1. खेत की तैयारी
अधिकतर किसान बाग लगाने का समय फरवरी, जून और सितंबर में चुनते है। बाग लगाने से पहले, जो भी फसल थी उसके और बाग लगाने के बीच आपको निम्न कार्य अवश्य करने चाहिए जिससे बाद में आपको कोई नुकसान नही उठाना पड़े।
1. खेत की मिट्टी पलटी कराये। अब इसको कम से कम एक सप्ताह की धूप लगाए। गहरी जुताई होने से हानिकारक कीड़ें खत्म हो जाते है।
2. इसके बाद इसमें रोटावेटर से जुताई करे।
3. अगर खेत समतल नही है तो मशीन द्वारा उसे समतल कराये।
4. किसी छायादार जगह पर तीन कुंतल वर्मिकमपोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद के बराबर बराबर तीन हिस्से कर ले। प्रत्येक हिस्से में आवश्यकतानुसार[1] Trichoderma, Pseudomonas और Bacillus Subtilis मिलाए। अगर नमी कम है तो हल्का छिड़काव कर जूट के बोरे या घास फूस से अच्छी तरह ढककर रखें। चार से पांच दिन बाद तीनों को एक जगह मिला ले।
5. अब प्रति एकड़ 40-80 कुंतल सडी गोबर की खाद में मल्टीप्लाई किया हुआ मिश्रण मिलाए और पूरे खेत में डालकर टिलर से मिला दे और पानी दे।
6. अब इसमें कोई भी हरी खाद (ढेंचा या सनी आदि) बोयें।
7. 40 से 45 दिन बाद 2 से ढाई फ़ीट होने पर इसे हेरो से मिट्टी में मिलवा और फिर पानी भरें। अगर आप जीवामृत या गोबर गैस से निकली स्लरी या वेस्ट डिकंपोजर भी प्रयोग करना चाहते है तो इसे पानी के साथ दे सकते है।
8. इसके बाद रोटावेटर चलाकर खेत को ठीक करें और आपका खेत बाग लगाने के लिए तैयार है।
2. पौधारोपण विधि
1. अगर पौधे आयताकार विधि से लगा रहे है तो लाइन उत्तर से दक्षिण होनी चाहिए।
2. ऊपर 1.4 के अनुसार बताया गया मिश्रण एक बार फिर तैयार करें।
3. जहां पर पौधे लगाने है वहां कम से कम 2x2x2 फीट या 1.5 से 2 फीट व्यास और 2 फीट गहरे गड्ढे बनाए। गढ़ा बनाते समय ऊपर की एक फीट मिट्टी दाई ओर एवं नीचे की एक फीट मिट्टी बाई ओर रखें।
4. अब इन्हें कम से कम 4 दिन की धूप लगाए।
5. गोबर की खाद या वर्मिकमपोस्ट में 2.2 में तैयार किया मिश्रण अच्छी तरह मिला लें।
6. प्रति गढ़ा 15 से 20 किलो सडी हुई गोबर की खाद या 5 किलो वर्मिकमपोस्ट, 2 किलो बोन मील[2], 100 ग्राम सागरिका और mycorrhiza[3] गढ़े से निकली मिट्टी पर डाले और सबको अच्छी तरह मिलाएं।
7. अब मिट्टी के साथ इस मिश्रण को गड्ढे में भर दें और पानी लगाए।
8. दो से तीन दिन बाद जब गड्ढे की मिट्टी ऊपर से हल्की सफेद हो जाए तो आज पास की मिट्टी से उसे 4 से छह इंच ऊंचा रखे।
9. अब पौधे[4] की थैली के आकार के अनुसार गड्ढे से मिट्टी निकाले और थैली की पन्नी हटाकर पौधे को इसमें रख दें । थैली के चारो और मिट्टी को अच्छी तरह दबा दे।
10. अब थाले में इतना पानी दे कि थैली और गड्ढे की मिट्टी एक हो जाए।
11. तीन दिन बाद पौधे को सहारा देने के लिए एक बांस की डंडी थैली के बाहरी हिस्से के पास लगाए।
12. ग्राफ्ट से तीन इंच नीचे और ऊपर से तीन इंच नीचे जूट की रस्सी से आठ का आकर बनाते हुए पौधें को डंडी से बांधकर सहारा दे।
13. एक माह तक पौधें में नमी बनाए रखे लेकिन इस बात का ध्यान रखे की इसके तने से चारों ओर दो फीट दूर तक सफाई रखे और निराई गुड़ाई दो इंच से ज्यादा गहरी न हो। अगर धूप अधिक है तो घास फूंस से मल्चिंग कर दे। इससे पौधे के आस पास नमी बनी रहेगी और खरपतवार भी कम होगी।
14. एक माह बाद प्रति पौधा एक लीटर पानी में 10ग्राम/5एमएल Beauveria Bassiana और Metarhizium anisopliae मिलाकर पौधों में ड्रिंचिंग करें। यह एक पौधे के लिए है।
15. 30 से 45 दिन बाद पौधों की ग्राफ्ट की पन्नी चेक करें। अगर ग्राफ्ट जुड़ गई है तो सावधानी से पन्नी हटाएं।
3. सावधानियां
1. पौधे को अभी भी ग्राफ्ट के ऊपर से पकड़कर नही उठाए।
2. जब पौधा गढ़े में रखे तो उसकी रैली की सतह और गढ़े की सतह के बराबर रखी है। ग्राफ्ट कभी भी नीचे जमीन में नही होने चाहिए।
3. थैली की बाहरी सतह और गढ़े के बीच में पौधा रखने के बाद चारो ओर से अच्छी तरह दबाए जिससे उनके बीच में कोई खाली स्थान नही रहे।
4. पौधा लगाने के बाद पानी थाले में धीरे धीरे चारो और दे।
4. टिप्पणी
[1] प्रत्येक की मात्रा 1 किलो प्रति एकड़ लेना है।
[2] यह जानवरो के अवशेष से बनाया गया जैविक खाद है जिसमे लगभग सभी आवश्यक सूक्ष्म तत्व होते है। और अधिक जानकारी के लिए +919910336139 पर संपर्क कर सकते है।
[3] इसकी मात्रा कंपनी के ब्रांड पर निर्भर करती है।
[4] पौधे किसी विश्वसनीय नर्सरी से ले। उत्तर भारत के हरियाणा और पंजाब में एक साल बाद पौधों में नेमातोड की बीमारी अधिकतर बागों में पाई गई है। इसलिए पौधों को लगाने से पहले अच्छी तरह बीमारी मुक्त कर ले। अच्छे गुणवत्ता युक्त पौधों के लिए आप अमेजिंग किसान से भी संपर्क कर सकते है।
हमारे YouTube चैनल @amazingkisan पर आप हमारी वीडियो नंबर 194 भी देख सकते है। इस वीडियो में पूर्ण जैविक विधि से पौधरोपण बताया गया है।
पौधारोपण के दो महीने बाद पहली कटिंग पर हमारी वीडियो नंबर 177 अवश्य देखें।
नोट:- यहां बताई गई विधि किसानों को पौधरोपण की जानकारी देना है। यह हमारे अनुभव पर आधारित है। यह पौधें स्वस्थ रहने कि गारंटी नहीं है जो स्थान, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी और पौधरोपण के समय ली गई सावधानियों पर निर्भर करती है। Amazing Kisan इसके लिए किसी भी प्रकार उत्तरदाई नहीं होगा।