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अमरुद की बाग़वानी

देखभाल एवं प्रबंधन

दो से तीन माह के पौधों की देखभाल 2019, August

सभी किसान भाई, जिन्होंने जून माह के अंत या जुलाई माह के शुरू में अमरुद का पौधारोपण किया था, उनके पौधों ने अब तक जड़ पकड़ ली होगी और लगभग दो से तीन नई पत्तियां भी निकल आई होंगी। आप सब ने इनमें लगाते समय आवश्यकता अनुसार खाद और दीमक आदि की दवाई डाली होगी। अब आप इनमें निम्न कार्य करे जो की बहुत ही आवश्यक है।

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सर्दियों की फसल की तैयारी-मृग बहार 2019, July

जुलाई का महीना शुरू हो चुका है। उन सभी किसान भाइयों ने जिनके पौधे २ वर्ष से बड़े है और सर्दियों की फसल लेना चाहते है, अपने अपने बगीचों में पौधों की कटाई छटाई (कटिंग) मई के अंतिम सप्ताह से लेकर जून के दूसरे सप्ताह तक कर दी होगी और देश के अधिकतर हिस्सों में या तो मानसून ने दस्तक दे दी होगी या मानसून पूर्व बारिश हो चुकी होगी। अब तक पौधों में नए कल्लो का सृजन हो चुका होगा और नई कलियाँ या तो निकल रही होगी या निकलने ही वाली होंगी। इस समय लगभग एक माह पश्चात पौधों को उचित सूक्ष्म तत्वों (Micronutrients), पोषक तत्वों और आने वाले दिनों में रोगों फूल और फलों की सुरक्षा के उपाय करने चाहिए जिससे फल, फूल और पौधें निरोग रहे और हमें भरपूर पैदावार मिल सके। इसके लिए यह कार्य तुरंत करने चाहिए।

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कीट एवं रोग और उपाय

फल मक्खी (Fruit Fly) 2019, November

फल मक्खी का प्रकोप बरसात में ली जाने वाली अमरूद की फसल में सबसे अधिक पाया जाता है । जब फल मक्खी अमरूद के फलों पर अंडे देती है तो इन अंडों से छोटी छोटी सूंडी निकलती है जो कि फल के गूदे को खाती है जिससे फल खराब हो जाता है। फल मक्खी अपना अंडा अमरूद, जब फूल में से बाहर आकर मटर के दाने के आकार के होते है, तभी अपना डंक मारकर फल के अंदर देती है।

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एन्थ्रक्नोज़ रोग और उपाय 2019, August

अगस्त का तीसरा सप्ताह शुरू हो गया है। इस समय अमरुद के पौधों में अक्सर एक रोग पाया जाता है जिसके कारण छोटे पौधों की डालियों के अंत में जो छोटी और कोमल पत्ती होती है वह वह काली पड़-कर कमजोर हो जाती है और फिर गिर जाती है। यह एक फफूंद रोग है अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो मोटी टहनियां भी सूख जाती है। जहां तक हो सके इसका पहले ही कोई उपाय करना चाहिए। अगर एक बार रोग लग गया तो यह फसल को काफी नुकसान पहुँचाता है और फसल खराब हो जाती है जिसके कारण वह बाज़ार में बिकने के लायक नहीं रहती।

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